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52 Lakh SIM Disconnected 66000 WhatsApp Accounts Blocked Heres DoT New Rules for Selling SIM Cards

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हाल ही में मोबाइल फोन के लिए SIM वैरीफिकेशन को लेकर सरकार ने नए नियम की घोषणा की थी, जिसमें बल्क सिम जारी करने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। जो डीलर सिम कार्ड बेचते हैं, उन्हें भी अब सिम कार्ड का वैरीफिकेशन करवाना होगा। पिछले लंबे समय से साइबर फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं और एक ही पहचान पर सैंकड़ों सिम के एक्टिवेट होने की रिपोर्टों के आने के बाद, आखिरकार इसपर सरकार एक्टिव हुई और नए नियमों को लागू किया गया। बताया जा रहा है कि अब तक 52 लाख फोन कनेक्शन को बंद कर दिया गया है।

दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, सरकार ने 66,000 धोखाधड़ी वाले WhatsApp अकाउंट को ब्लॉक कर दिया है और साथ ही 67,000 सिम कार्ड डीलरों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इतना ही नहीं, धोखेबाजों के खिलाफ 300 से ज्यादा FIR दर्ज की जा चुकी है और 52 लाख फोन कनेक्शन निष्क्रिय कर दिए गए हैं। 

इसके अलावा, मंत्री जी का कहना है कि ”धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए लगभग 8 लाख बैंक वॉलेट अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं।

नए नियमों को धोखाधड़ी वाली बिक्री को रोकने के लक्ष्य से घोषित किया गया है। सर्कुलर में कहा गया है कि ये नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे और टेलीकॉम ऑपरेटरों को 30 सितंबर से पहले सभी ‘प्वाइंट ऑफ सेल’ (POS) को रजिस्टर करना होगा। DoT ने टेलीकॉम ऑपरेटरों पर अपंजीकृत डीलरों के जरिए सिम कार्ड की बिक्री के लिए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की भी घोषणा की है।

SIM कार्ड बेचने वाले व्यापारियों को अब पुलिस वैरीफिकेशन के साथ ही बायोमीट्रिक वैरीफिकेशन भी करवाना होगा। साथ ही रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य कर दिया गया है। इसकी जिम्मेदारी टेलीकॉम ऑपरेटर की होगी, जो व्यापारियों का वैरीफिकेशन सुनिश्चित करेगा। अगर यह नियम नहीं माना जाता है तो सरकार ने इसके लिए 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया है। 

वर्तमान में सिम कार्ड बेचने वाले व्यापारियों के लिए सरकार ने 12 महीने का समय दिया है जिसमें वह अपना वैरीफिकेशन करवा सकते हैं और रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। सरकार इस कदम की मदद से धोखेबाज व्यापारियों को पहचानने, उन्हें ब्लैकलिस्ट करने और सिस्टम से बाहर करने की कोशिश करेगी। 

अगर कस्टमर किसी पुराने नम्बर पर नया सिम कार्ड खरीदने जा रहा है तो आधार पर छपे QR कोड की स्कैनिंग की जाएगी, जिसके आधार पर कस्टमर का डेमोग्राफिक डेटा दर्ज किया जाएगा। 


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